Bihar Elections 2025 Lalu Yadav Iftar Strategy Outpaces Nitish Kumar Amidst Waqf Bill Row Muslim Vote Bank.

बिहार में सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. रमजान का महीना होने की वजह से इन दिनों मुसमलानों को साधने की लगातार कवायद की जा रही है तो मुस्लिम संगठनों ने भी अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं. रोजा इफ्तार के बहाने सियासी दल मुस्लिमों के बीच अपनी पैठ जमाना चाहते हैं तो मुस्लिम संगठन वक्फ संसोधन बिल का विरोध करके राजनीतिक दलों की थाह ले रहे हैं. इस तरह मुस्लिम वोटों को पाने की रेस में लालू प्रसाद यादव ने ऐसी दौड़ लगाई कि नीतीश कुमार को काफी पीछे छोड़ दिया है, लेकिन पीके अभी भी राह में रोड़ा बने हुए हैं?

वक्फ संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम समुदाय नाराज हैं, जिसे लेकर सड़क से लेकर सदन तक हंगामा मचा हुआ है. मुस्लिम संगठन इसका विरोध कर रहे हैं और उन्हें कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिल रहा है. एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू और एलजेपी पर दवाब बनाने के लिए मुस्लिम संगठनों ने उनकी रोजा इफ्तार पार्टी का बॉयकाट और लालू यादव की इफ्तार पार्टी में शिरकत कर अपने सियासी मंसूबों से वाकिफ करा दिया है. ऐसे में लालू यादव ने भी वक्फ बिल के विरोध में होने वाले प्रदर्शन में शिरकत कर साफ कर दिया है कि मुसलमानों से जुड़े हुए मुद्दों पर खुलकर खड़े हैं. इस तरह मुस्लिम वोटों के शह-मात के खेल में लालू यादव ने क्या नीतीश कुमार को अलग-थलग कर दिया है?

बिहार में मुस्लिम वोटों की ताकत

बिहार में करीब 17.7 फीसदी मुस्लिम आबादी है. प्रदेश की कुल 243 विधानसभा सीटें में से 47 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक हैं. इन सीट पर मुस्लिम वोटर 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक है. बिहार की 11 सीटें ऐसी हैं, जहां 40 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं और 7 सीटों पर 30 फीसदी से ज्यादा हैं. इसके अलावा 29 विधानसभा सीटों पर 20 से 30 फीसदी के बीच मुस्लिम मतदाता हैं. इस तरह मुस्लिम समुदाय बिहार में सियासी रूप से किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते है.

मुस्लिम वोटों की सियासी ताकत को देखते हुए लालू प्रसाद यादव से लेकर नीतीश कुमार और चिराग पासवान ही नहीं असदुद्दीन ओवैसी से लेकर प्रशांत किशोर तक मुस्लिम वोटों को अपने साथ जोड़ने की स्ट्रैटेजी पर काम कर रहे हैं. मुस्लिम वोटों को साधने के लिए रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन का सहारा ले रहे हैं ताकि 2025 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर सकें. मुस्लिम वोटों की रेस में लालू यादव ने तमाम दूसरे नेताओं को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन असदुद्दीन ओवैसी और प्रशांत किशोर जरूर थोड़ी चिंता पैदा कर रहे हैं.

मुस्लिम वोट की रेस में लालू यादव आगे

बिहार में मुस्लिम वोट की चाहत में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव दूसरे नेताएं से काफी आगे नजर आ रहे हैं. आरजेडी की रोजा इफ्तार पार्टी में तमाम मुस्लिम संगठन से जुड़े हुए लोग शामिल हुए हैं, जिसमें लालू यादव पूरी तरह मुस्लिम रंग में रचे-बसे नजर आए थे. इस तरह लालू यादव की रोजा इफ्तार पार्टी दूसरी सियासी इफ्तार पार्टी से ज्यादा सफल रही है. इसके अलावा वक्फ बिल के विरोध में लालू यादव मुस्लिम समुदाय के साथ कदमताल करते नजर आए.

वक्फ संशोधन बिल पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित तमाम मुस्लिम संगठनों ने पटना में धरना दिया था. तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और अब्दुल बारी सिद्दिकी जैसे आरजेडी के कई बड़े नेता इस धरने में शामिल हुए. तेजस्वी यादव ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वे मुस्लिम संगठनों के साथ हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे खुशी है और गर्व है कि लालू जी का खून मेरे अंदर है. आज किडनी का ऑपरेशन हुआ, हार्ट का ऑपरेशन हुआ, लालू जी बीमार अवस्था में हैं, लेकिन वो आपका समर्थन करने यहां आए हैं. इस तरह तेजस्वी ने मुस्लिम समाज का दिल जीतने की इमोशन चाल चली. वक्फ बिल पर लालू-तेजस्वी सड़क पर मोर्चा खोल रखा तो आरजेडी के नेता बिहार विधानसभा में बिल को वापस लेने की मांग उठा रहे थे. लालू के कदम से मुस्लिम समुदाय खुश नजर आ रहा है.

मुस्लिमों से क्या दूर हो गए नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू का वक्फ बिल पर समर्थन करना मुसलमानों को नागवार गुजर रहा है. इसके चलते मुस्लिम समुदाय ने नीतीश कुमार की रोजा इफ्तार पार्टी का बॉयकाट कर रखा था, जिसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से लेकर जमात-ए-इस्लामी, इमारत-ए-शरिया जैसे अहम संगठन से जुड़े हुए लोग शामिल नहीं हुए. नीतीश कुमार के सामने उलेमाओं ने स्पष्ट कहा कि एनडीए में रहते हुए वक्फ संशोधन बिल का विरोध करें, वर्ना वे इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करेंगे और हुआ भी वही. इस तरह मुस्लिम समुदाय ने साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार की पार्टी को 2025 के चुनाव में वोट भी नहीं करेंगे, जिसके चलते जेडीयू की सियासी टेंशन बढ़ गई है. मुस्लिम वोटों की नाराजगी नीतीश कुमार के लिए महंगी पड़ सकती है. नीतीश कुमार ने चुप्पी अख्तियार कर रखी है लेकिन मुस्लिम समुदाय के लोग मुखर हैं.

बॉयकॉट वाले पत्र पर लोजपा-आर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा था कि एनडीए सरकार ने जितना मुसलमानों के लिए किया है, उतना न आरजेडी ने किया और उसके पहले की किसी अन्य पार्टी की सरकार ने. बायकॉट का कोई औचित्य नहीं है. इसी बहाने उन्होंने अपनी पीठ भी पिता का उदाहरण देकर थपथपाई. उन्होंने बताया था कि उनके पिता बिहार में मुस्लिम को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे, पर बनने नहीं दिया गया और मुस्लिम हितैषी रही है उनकी पार्टी. इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय के अहम लोगों ने चिराग पासवान की रोजा इफ्तार पार्टी में शिरकत नहीं की. चिराग पासवान की पार्टी का भी मुस्लिम समुदाय ने बॉयकाट कर बता दिया है कि 2025 में मुस्लिम वोटों की उम्मीद न रखें.

पीके और ओवैसी क्या बन रहे चुनौती

बिहार में मुस्लिम वोटों के फिराक में प्रशांत किशोर की जनसुराज और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM भी है. वक्फ बिल को लेकर असदुद्दीन ओवैसी पूरी तरह से आक्रामक हैं और सड़क से सदन तक बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. इसी तरह से प्रशांत किशोर भी वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम संगठनों के साथ बैठे नजर आए. कुछ दिनों पहले जन सुराज ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने वक्फ बिल पर अपनी राय रखी थी. उन्होंने कहा था कि अगर मुस्लिम समाज की भावनाओं के खिलाफ कोई कानून बनाया जा रहा है तो यह गलत है.

प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार चाहते तो ये कानून नहीं बनता. उन्होंने कहा कि बीजेपी वही कर रही है जो उसका एजेंडा है. जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर की भी मुस्लिम वोटों पर चौकस नजर है. उन्होंने 40 मुसलमानों को इस बार विधानसभा का टिकट देने की घोषणा की है. एआईएमआईएम वाले असदुद्दीन ओवैसी भी मुस्लिम वोटों के हिस्सेदार बनेंगे ही. मुस्लिम बहुल सीमांचल की पांच सीटें पिछली बार जीतकर और गोपालगंज सीट पर उपचुनाव में आरजेडी उम्मीदवार को हराकर वे अपनी ताकत का एहसास करा चुके हैं.

बिहार में मुस्लिम आबादी 17 प्रतिशत के करीब है. आरजेडी ने इतनी बड़ी आबादी को अपना वोट बैंक बनाने के लिए मुसलमानों और यादवों का एम-वाई समीकरण बना लिया है. यादवों की 14 प्रतिशत जनसंख्या मिलाकर यह आबादी 31-32 प्रतिशत के करीब हो जाती है. वक्फ बिल के चलते मुस्लिम अब जेडीयू से भी कट गए. ऐसे में थोक में मुसलमानों के वोट पर महागठबंधन की नजर है. आरजेडी कैंप को भरोसा है कि उलेमाओं ने नीतीश की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार किया और लालू यादव ने वक्फ बिल के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन में शामिल होकर सियासी संदेश मुसलमानों को दे दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुस्लिमों का वोट आरडेडी के पक्ष में जा सकता है, पर पीके और ओवैसी भी कम नहीं है.

Leave a Comment